द्वार पर हस्ती झुकानी चाहिए
भेंट तन मन की चढ़ानी चाहिए
सारी दुनिया अपनी हो जाती है
सिर्फ़ इनकी मेहरबानी चाहिए
________हास्यकवि अलबेला खत्री
श्री मुछाला महावीर मंदिर घाणेराव में उपस्थित गिरनार यात्रा संघ के हजारों लोगों के बीच प्रस्तुत किया गया यह मुक्तक संघपति श्रीमती मोहिनी बाई देवराजजी खांटेड़ को खूब पसंद आया
श्री गौतमचंद देवराजजी जैन |